प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले जमीन घोटाले के आरोप में राष्ट्रीय जनता दल नेता लालू प्रसाद और उनके रिश्तेदारों के घरों पर छापा मारा है। वहां टीम को थोक में नकदी और जेवरात मिले है। ईडी ने कहा है कि उन्होंने लालू की दोनों बेटियों के घरों से काफी पैसा और कीमती सामान बरामद किया है।
ईडी ने छापे के दौरान उत्पीड़न के आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा की तलाशी के दौरान सभी कानूनी औपचारिकताओं का पालन किया गया। महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के साथ उचित शिष्टाचार का व्यवहार किया गया।
ईडी ने कहा कि दिल्ली में डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर एक चार मंजिला मकान है। ये मकान या बिल्डिंग तेजस्वी प्रसाद यादव के कब्जे में है। ईडी का कहना है कि यह संपत्ति महज 4 लाख रुपए में खरीदी गई थी, लेकिन इसकी असल कीमत करीब 150 करोड़ रुपए है।
कागजों में है कंपनी का दफ्तर, उपयोग आवास के रूप में
ईडी को ऐसी शंका है कि इस संपत्ति को खरीदने में अपराध से अर्जित आय का उपयोग किया गया है। मुंबई के रत्न और आभूषण उद्योग के लोगों पर अवैध गतिविधियों से धन शोधन में शामिल होने का संदेह है। संपत्ति दो कंपनियों के कार्यालय के रूप में पंजीकृत है, लेकिन इसका उपयोग लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव ही कर रहे हैं।
तलाशी के दौरान तेजस्वी प्रसाद यादव इसी मकान में ठहरे मिले और इस मकान को अपनी आवासीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करते पाए गए। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने लैंड फॉर जॉब घोटाले के संबंध में तलाशी के दौरान एक करोड़ पचास लाख की अज्ञात राशि बरामद की है। इसके अलावा 1900 अमेरिकी डॉलर, 540 ग्राम बुलियन सोना और 1।5 किलो से अधिक सोने के आभूषण (करीब 1।25 करोड़ रुपये) सहित विदेशी मुद्रा बरामद की गई है।

ईडी को मिले करीब 600 करोड़ की आय के सबूत
ईडी ने संपत्ति के दस्तावेज, बिक्री के दस्तावेज, भूमि की रजिस्ट्री और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ-साथ परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के नाम पर आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं।
छापेमार टीम को अबतक 600 करोड़ की अवैध और बेनामी आय के सबूत प्राप्त हुए हैं। इनमें से 350 करोड़ रुपये की अकेले अचल संपत्तियां शामिल हैं। भिन्न भिन्न बेनामीदारों के जरिए 250 करोड़ रुपये के लेन-देन किए गए हैं।
ईडी का आरोप है कि रेलवे में नौकरी दिलाने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार ने अवैध रूप से कई जमीनों का अधिग्रहण किया था। खबरों की मानें तो इन जमीनों का वर्तमान बाजार मूल्य 200 करोड़ भारतीय रुपये से भी ज्यादा है। इस संबंध में इन जमीनों के लिए कई बेनामीदारों, फर्जी संस्थाओं और लाभकारी मालिकों की पहचान भी कर ली गई है।

केवल 7।5 लाख में अधिग्रहित की जमीन और 3।5 करोड़ में बेच दी गई
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि लालू यादव परिवार द्वारा गरीब ग्रुप डी आवेदकों से केवल 7।5 लाख रुपये में चार पार्सल जमीन का अधिग्रहण किया गया था, और राबड़ी देवी ने राजद के पूर्व विधायक सैयद अबू दोजाना के साथ इसे 3।5 करोड़ रुपये में बेचने का सौदा किया था। जांच में यह भी सामने आया कि मिले पैसों का एक बड़ा हिस्सा तेजस्वी प्रसाद यादव के खाते में ट्रांसफर किया गया।
जांचकर्ताओं ने पाया है कि रेलवे ग्रुप डी में नौकरी पाने के लिए गांवों के कई गरीब लोगों ने अपनी जमीन लालू परिवार के नाम की थी। लालू यादव परिवार ने अपने विधानसभा और लोकसभा के अंतर्गत आते गांवों के लोगों को ही ज्यादातर नौकरियां बांटी थी।
जानिए क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम?
नौकरी के लिए जमीन घोटाला 14 साल पहले का मामला है, जिसमें दावा किया गया है कि लालू यादव जब रेल मंत्री थे, तो लोगों को रेलवे में नौकरी देने के बदले उनकी लेते थे।
यह मामला तब का है जब लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। इस मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया है और सीबीआई के मुताबिक रेलवे में पहले ग्रुप डी के पदों पर स्थानापन्न के तौर पर लोगों की भर्ती की गई थी और जब इन्हें नियमित किया गया था। उनके परिवारों ने एक जमीन का सौदा लालू के साथ किया।
सीबीआई का कहना है कि लालू यादव के परिवार ने पटना में 1।05 लाख वर्ग फुट जमीन पर कथित तौर पर कब्जा कर लिया है। हाल ही में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू यादव के परिवार को समन जारी किया है। इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती को 15 मार्च को कोर्ट में पेश होना है।